नमस्कार, दोस्तों आज की मेरी स्टोरी सबसे पहले हिंदुस्तान के उन सभी लोगो को पढ़नी चाहिए जो या तो मीडिया की लिखी हर बात को सच मानके किसी के भी बारे में अपनी राय बना लेते है या तो वो लोग जो हर रोज पूरे मीडिया को बिका हुआ कहते मिल जाते है, साथ ही देश की राजनीति से जुड़े शीर्ष नेताओ को चाहिए की वो ये स्टोरी पूरी तरह जरूर पढ़े, मुझे पता है की स्टोरी सुबह ही देश के सभी शीर्ष नेताओ तक पहुंच जाएगी, साथ ही ये स्टोरी पत्रकारिता से जुड़े सभी छोटे बड़े चेहरों के लिए भी है, आज की इस स्टोरी में कोशिश करूँगा की पत्रकारिता से जुड़े सभी पहलु कवर हो जाये
कैसी है देश में पत्रकारिता की हालत- सच कहु तो आज देश में पत्रकारिता की हालत बहुत ख़राब है चाहे कोई भी प्रदेश हो, कोई भी शहर या फिर कोई भी गांव पत्रकार कही भी सुरक्षित नहीं, आए दिन सुनने को मिल जाता है की कही किसी अपराधी ने पत्रकार पे हमला किया तो कही पता चलता है की स्थानीय पुलिस ने ही पत्रकार पे हमला कर दिया ऐसे कई हमलो में तो पत्रकारों की जान तक चली जाती है इस सबके बाद दुनिया से चले जाने वाले पत्रकार के परिवार की जो हालत होती है उसे ब्यान करना बड़ा मुश्किल है, बहुत से लोगो को लगने लगा है की जबसे मोदी सरकार आई है तबसे मीडिया के बुरे दिन आये है पर सच्चाई ये है की मीडिया के हालात देश की आज़ादी के बाद से ही ऐसे रहे है सरकार किसी की भी आई हो किसी ने भी पत्रकार की सुध नहीं ली, यहाँ तक की पत्रकार जिस मीडिया हाउस में काम करता है वो संसथान तक बुरे समय में पत्रकार की मदद के लिए आगे नहीं आता छोटे शहरों में तो देखा है की पत्रकार 100 या 200 रूपए के लिए संघर्ष करता हुआ दिखाई देता है, मैंने काई बार देखा और सुना है की जब कोई पत्रकार कवरेज के दौरान अपनी जान से हाथ धो बैठता है तो उसके पीछे उसके परिवार को दो वक्त की रोटी के लिए दर दर की ठोकरे कहानी पड़ती है तब पीड़ित परिवार को हाथ न तो सरकार पकड़ती है न वो मीडिया हाउस जिसके लिए पत्रकार अपनी जान पे खेल गया था, जनता और पत्रकार की भलाई का दम भरने वाले संगठन तो ऐसे गायब हो जाते है जैसे गधे के सर से सींघ
सिक्के के दो पहलु- दोस्तों ये कहना गलत होगा की सभी पत्रकार अच्छे या सभी पत्रकार बुरे है, मैंने बहुत सारे पत्रकार ऐसे भी देखे है जो पैसो के लिए अपने पेशे और अपने पत्रकार समाज को धोखा देने में भी देर नहीं लगाते, नेताओ की चापलूसी करते समय ये अपनी असली ड्यूटी जनता के हक़ की आवाज़ उठाना तक भूल जाते है, आज पत्रकार इतने नीचे के स्तर पे जाके सोचने लगे है की एक दुसरे को झूठे मुक्कदमे में फ़साने की कोशिस तक करने लगे है, आजकल पंजाब के शहर अमृतसर से कुछ ऐसी ही खबरे आरही है की वहां मैन स्ट्रीम कहे जाने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार एक तरफ हो गए है और दूसरी तरफ है डिजिटल मीडिया के पत्रकार, दोनों तरफ से एक दुसरे पे लगतार जुबानी और लिखित हमले किये जा रहे है, मुझे लगता है की इन्हे ये याद दिलाना होगा की आपकी आपसी लड़ाई का फ़ायदा गुंडे बदमाशों, भ्रस्ट नेताओ और भरष्ट अफसरों को होगा और इसका आने समय में समाज पे क्या असर पड़ेगा इसका अंदाजा फिलहाल नहीं लगाया जा सकता,
पिछले लम्बे समय से एक मामला पंजाब के जालंधर शहर में भी चल रहा है जिसमे एक सच्ची खबर लिखने की वजह से कुछ ब्लैकमेलर लोग कुछ पत्रकारों सहित बहुत से भोले लोगो को परेशान कर रहे है, भोली जनता को फर्जी लीगल नोटिस भेज के धमकाया जा रहा है, फर्जी शिकायतें दी जा रही है, फर्जी मुक़दमे दर्ज करवाए जा रहे है, प्रशाशन और प्रदेश के पूरी पुलिस को सब कुछ पता है उक्त ब्लैकमेलर गैंग के मुखिया जो अपने आपको वकील कहता है के खिलाफ पुख्ता सबूत पुलिस को दिए जा चुके है पर आज तक पुलिस ने उक्त गैंग के किसी भी अपराधी के खिलाफ कोई मामला दर्ज तक नहीं किया है उलटे कल ही शहर के एक पत्रकार राजीव ने मुझे बताया की पिछले लम्बे समय से जहा एक तरफ उनके लिए खतरा बना हुआ था और अब वही ब्लैजमैलेर गैंग द्वारा कुछ अफसरों और मीडिया की भलाई का दम भरने वाले कुछ लोगो के साथ मिलके उनकी कुछ दुकाने जिसमे एक दूकान में वो अपना न्यूज़ पोर्टल चलाया करते थे को ध्वस्त करने की कोशिस की गई, दोस्तों बताइए पत्रकारिता पे इससे बड़ा और सीधा हमला और क्या हो सकता है पर आज तक उक्त पत्रकार की कही कोई सुनवाई नहीं हुई है
मीडिया से जुड़े संगठन भी दूध के धुले हुए नहीं निकले- मुझे देश के बाकी के राज्यों के बारे में तो नहीं पता पर पंजाब के जालंधर शहर में ऐसे काफी संगठन बने हुए है जो पत्रकारों के हितो की रक्षा करने का दम भरते है पर इनमे से ज्यादा को चलाने वाले नेता ही कहूंगा, गैरकानूनी काम करने वाले लोगो से पैसे लेके पत्रकारों को गैरकानूनी काम करने वालों के खिलाफ समाचार छापने से रोकने का काम करते है, कुछ ऐसे भी शातिर लोगो जालंधर में बैठे है जो लोगो से पैसे लेके अपने पत्रकार भाई को ही झूठे मुक्कदमे में फ़साने का काम करने से गुरेज तक नहीं करते, ऐसे लोगो का हम आने वाले समय में ताबड़ तोड़ खुलासा करेंगे
इस छेत्र में भी शहीद भगत सिंह प्रेस एसोसिएशन अमृतसर जैसी कुछ संस्थाए आज भी मौजूद है जो पत्रकारिता के हितो की रक्षा में लगे हुए है, मैंने अपनी आँखों से देखा है की ये संस्था किसी भी पत्रकार के साथ भेद भाव नहीं करती, पत्रकार चाहे प्रिंट मीडिया से हो, वेब मीडिया से हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ये संस्था हर पत्रकार की हर संभव मदद करने की लम्बे समय से कोशिस करती रही है
बड़े मीडिया घराने खरे नहीं है पत्रकारिता के मूल्यों पे- दोस्तों ये बात कहने में मुझे जरा भी संकोच नहीं है की देश में जितने भी बड़े मीडिया घराने है चाहे वो किसी भी फॉर्मेट में हो ज्यादा तर को सच्ची पत्रकारिता से कोई लेना देना ही नहीं है वो तो सिर्फ पैसे कमाने में ही लगे हुए है ऐसा भी आज से नहीं हो रहा ये हालात देश की आज़ादी से पहले के है तब भी छोटे अख़बार जनता की आवाज़ बने थे आज भी छोटे अखबार और वेब मीडिया ही जनता के हितो की रक्षा कर रहे है
आज की इस ख़ास पेशकश में बस इतना ही लिखना चाहता हु, बाकी जो कुछ रह गया होगा उसे अगले अंको में प्रकशित जरूर करूँगा, अंत में बस इतना ही भरोसा करके चल रहा हु पत्रकारिता के भीतर, पत्रकारिता के साथ, पत्रकारिता के लिए आने वाले समय में सब ठीक ही होगा
जय हिन्द