नमस्कार पाठको, आज की हमारी इस रिपोर्ट में सबसे पहले ये कहावत सिद्ध होगी की भगवान की लाठी में आवाज़ नहीं होती, ये कहावत जालंधर के एक मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव भरत पूरी के मामले में बिलकुल सटीक बैठती है, दोस्तों याद दिलाते चले की जालंधर शहर का यही वो व्यक्ति है जो पिछले लम्बे समय से गरीब रेडी वालो से रंगदारी वसूलने, एक मासून औरत और उसके पति के खिलाफ थोक में झूठी शिकायते करने, एक भोले भले शिव सैनिक पे झूठे इल्जाम लगाने और शहर के कुछ इज्जतदार पत्रकारों के खिलाफ झूठी पुलिस शिकायते देने और झूठे सबूतों के आधार पे मानयोग अदालत को गुमराह करके फर्जी मुक्कदमे दर्ज करवाने के संगीन इल्जाम झेल रहा है, इसके इलावा आज हम एक जानी मानी दवा बनाने वाली कंपनी को उसकी कार्य शैली के लिए सलाम करेंगे, इस कहानी में उन लोगो के लिए भी एक सीख है जो डॉक्टर द्वारा पर्ची पे लिखे जाने के बाद भी दवा विक्रेता से कहते है दवा जरा अच्छी कंपनी की देना
हुआ यु की जालंधर का ये मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव देश की एक जानी मानी दवा बनाने वाली कंपनी जिसका नाम इंडोको रेमेडीज लिमिटेड है में फील्ड अफसर की तोर पे कार्यत था बतौर कंपनी इस व्यक्ति ने जब कंपनी में काम शुरू किया था तो बताया था की वो कही और काम नहीं करता है पर बाद में कंपनी को पता चला की ये व्यक्ति कंपनी से झूठ बोलके कुछ अन्य काम करने के साथ वकालत की डिग्री और लाइसेंस लेके बैठा है और जालंधर में ही वकालत करने का दम भरता है
इसके बाद कंपनी ने इस मामले की एक इन्क्वायरी बैठाई जिसमे एक निष्पक्ष अफसर को जांच के लिए नियुक्त किया गया इन्क्वायरी मई 2019 के अंत में शुरू हुई थी जो दिसंबर 2019 के शुरू के दिनों में अंजाम तक पहुंची और निष्कर्ष निकला की ये मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव दोषी है और इसने कंपनी से साफ़ तोर पे झूठ बोलके नौकरी हासिल की थी इसके बाद 20 दिसंबर 2019 को ही इसे कंपनी से पूरी तरह से निकाल दिया गया है
इस मामले में प्राप्त हुए टर्मिनेशन लेटर को जब मैंने पढ़ा तो मुझे बहुत हैरानी हुई की इंडोको रेमेडीज एक निजी कंपनी है और निजी कंपनी को ये अधिकार होता है की कर्मचारी को जब चाहे कुछ समय का नोटिस देके नौकरी से निकाल सकती है और लगभग हर निजी कंपनी में होता भी यही सब है पर मैंने अपनी जिंदगी में पहली निजी कंपनी देखी है जिसने पहले कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त किया फिर पूरी इन्क्वायरी की और उसके बाद जब दोष सिद्ध हुए तभी उसे नौकरी से पूरी तरह से निकला गया वरना आम तोर पे निजी कंपनी एक दम कर्मचारी को काम से निकाल देती है, इस प्रक्रिया को देखने के बाद इंडोको रेमेडीज को सलाम करना चाहिए जो इतनी न्याय प्रिय कंपनी है जिसे इस बात की पूरी चिंता है की कही किसी निर्दोष की नौकरी न चली जाये और कंपनी ने इस केस में पूरा ध्यान रखा की कार्रवाई सिर्फ दोषी पाय जाने पे ही की जाये
इस टर्मिनेशन लेटर को पढ़ने के बाद एक बात और सामने आई की ये कंपनी नियमो को लेके कितनी सजग है की जब कंपनी को ये पता चल गया की मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव दोषी है तब उसी नौकरी से निकाल के ही दम लिया इससे ये साफ़ होता है की ये कंपनी नियमो को लेके कितनी सख्त है दोस्तों अगर ये कंपनी अपने कर्मचारियों के लेके इतनी सख्त है तो अंदाजा लगाइए के अपने उत्पादों की क्वालिटी को लेके कितनी सख्त होगी मतलब साफ़ है इस कंपनी के उत्पाद यानिकि दवाये बेहतरीन क्वालिटी की ही होंगी इस लिया जब कभी आपका डॉक्टर अपनी पर्ची पे आपके लिए इंडोको रेमेडीज की कोई दवाई लिखे तो समझ लीजियेगा आपका डॉक्टर काफी काबिल है
इस मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव दवारा की गई झूठी शिकायतों का दंश झेल रहे जालंधर के एक निर्भीक पत्रकार श्री राजीव धामी ने बताया की कंपनी द्वारा उठाया गया ये कदम ख़ुशी देने वाला है साथ ही ये बात भी साबित हो गई की भगवान की लाठी में आवाज़ नहीं होती पर वार कारगर होता है श्री राजीव धामी का कहना है की कंपनी का ये फैसला दूसरो के लिए सबक साबित होगा की जो कंपनी आपको रोज़ी रोटी दे उसके साथ धोखा करना कितन भारी पड़ सकता है ये इस केस से अंदाज़ा लगाया जा सकता है
इस मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव द्वारा जालंधर शहर में परेशान किये गए पत्रकारों और आम लोगो को इन्साफ दिलवा रहे नायक सरदार अमरिंदर सिंह का कहना है की ये व्यक्ति ऐसे अंजाम का ही हकदार है सरदार अमरिंदर सिंह का कहना है की कंपनी ने तो अपना फर्ज निभा दिया और आगे शहीद भगत सिंह प्रेस अस्सोसिएशन रजिस्टर इस मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव को इसके दवारा किये गए बाकी के जुर्मो के लिए जेल पंहुचा के ही दम लेगी