जालंधर(15/09/2024): दोस्तों हमारे शहर जालंधर में 30/08/2024 को जालंधर शहरी पुलिस ने एक FIR दर्ज की जिसमे जालंधर के एक मशहूर प्राइवेट स्कूल जिसका नाम पुलिस डी ए वी पब्लिक स्कूल जालंधर है की 2 महिला अध्यपिकाओं को इस लिए आरोपी बनाया गया क्योकि उन पर अपनी ही एक 17 साल की नाबालिक स्टूडेंट को इतना परेशान करने का आरोप था की बच्ची ने स्कूल जाने से आसान ख़ुदकुशी करना समझा और अपने घर के स्टोर के छत वाले पंखे से लटक कर अपनी जिंदगी खत्म कर ली, इस मामले में आरोपित दोनों अध्यपिकाओं पर जालंधर पुलिस काफी मेहरबान लग रही है तभी तो बच्ची के चाचा के मुताबिक अभी तक आरोपित दोनों महिलाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है और दोनों रोज़ स्कूल जा रही है और सूत्रों की माने तो अभी तक FIR दर्ज हुए 15 दिन से ज्यादा हो चुके हैं और दोनों आरोपितों ने अदालत से कोई जमानत तक नहीं ली हुई है, ये इस मामले का लीड पैराग्राफ है, अब चलते है कुछ जरुरी फैक्ट्स की तरफ जो पढ़ने वालों को यकीनन जान लेने चाहिए
इस स्कूल की प्रिंसिपल और स्टाफ पर संवेदना से रहित होने का यह पहला मामला नहीं है, जब इस मासूम बच्ची की मौत की खबर मिली तो हमने स्कूल के इतिहास की खोज खबर लेनी शुरू की इसी दौरान हमें पता चला की ऐसे ही इंसानियत को ताक पे रखके इस स्कूल की प्रिंसिपल ने कुछ साल पहले अपने एक कर्मचारी को मौत के मुँह में छोड़ कर उसकी तरफ से मुँह मोड़ लिया था जिसकी हॉस्पिटल ले जाते समय मौत हो गई थी यह मामला अदालत पंहुचा था अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल को आरोपित मानते हुए क्रिमिनल प्रोसीडिंग के तहत सम्मन जारी किया था, इस सम्मन आर्डर में लिखा है की 27/10/2020 को स्कूल के एक कर्मचारी को हार्ट अटैक आया जिसके बाद उन्होंने अपने परिजनों को सूचित किया, इसके बाद उनके परिजनों ने उन्हें तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाना चाहा पर रस्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया इस केस में अदालत में शिकायतकर्ता एंप्लॉयी स्टेट इन्शुरन्स कारपोरेशन थी इस सम्मन आर्डर में लिखा है की बतौर एम्प्लोयी स्टेट इन्शुरन्स कारपोरेशन मरीज को हार्ट अटैक आने के बाद जो फर्स्ट ऐड मिलनी बेहद जरुरी थी वो स्कूल की तरफ से नहीं दी गई इसी बात को घोर नेग्लिजेंस मानते हुए एम्प्लोयी स्टेट इन्शुरन्स कारपोरेशन ने स्कूल और स्कूल की प्रिंसिपल को आरोपित बनाया था, इस मामले की सुनवाई करते हुए जालंधर की एक अदालत ने 15/07/2021 को स्कूल और स्कूल की प्रिंसिपल को आरोपित के तौर पर सम्मन भेजा था जिसके बाद इस मामले में जब सुनवाई शुरू हुई तो 02/12/2022 को अदालत ने एक और आर्डर जारी किया जिसमे स्कूल प्रिंसिपल ने अदालत से प्रोसीडिंग के दौरान हर डेट पे पेश होने से छूट मांगी थी ग्राउंड यह रखी थी की मामले की प्रोसीडिंग लम्बे समय तक चलेगी और वो एक स्कूल प्रिंसिपल हैं लिहाजा उनकी स्कूल में रोज़ाना हाजरी जरुरी है इस लिए हर डेट पे अदालत में आना उनके लिए मुश्किल काम है साथ ही बताया की वो एक उम्र दर्ज नागरिक है और उनके फुट में एक एक्सीडेंट की वजह से चोट भी आई है जिस वजह से वो हर डेट पे अदालत में हाजिर नहीं हो सकती, अदालत ने स्कूल प्रिंसिपल की कोई बात न मानते हुए उनकी यह अर्जी भी ख़ारिज कर दी थी, इस मामले में हाल ही में 05/09/2024 स्कूल और प्रिंसिपल द्वारा अपनी गलती मान लेने पे Rs.4000/- का जुर्माना लगा कर केस को डिस्पोस्ड कर दिया है
इस केस को पढ़ने के बाद हमें भी स्कूल की प्रिंसिपल को अदालत में सदिग्ध अर्जी देने और फिर कुछ साल बाद अपनी गलती मान लेने पर सदेह सा हुआ इसके बाद हमने उन्हें फ़ोन कर उनका पक्ष जानने की कोशिस की पर प्रिंसिपल ने फ़ोन पर बात कर अपना पक्ष रखने से बेहतर फ़ोन काट कर चुप रहना सही समझा, चलिए उनकी मर्जी फिर भी जब कभी भी वो अपनी कोई बात रखनी चाहे तो हमारे मोबाइल नंबर: 6284743454 पर हमें फ़ोन कर अपनी बात लिखवा सकती हैं उनकी बात भी जनता के सामने रखी जाएगी
अब आप सबके मन में यह बात आएगी की ऊपर लिखे गए दोनों मामलों का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं तो दोनों मामलों को साथ क्यों लिखा गया है?? तो आपको स्पष्ट कर दे की इन दोनों मामलों को सबूत के तौर पे लिखने का सिर्फ एक ही मकसद है की आप मेसे कोई कभी इस या किसी अन्य स्कूल में कोई भी नौकरी लेने जाएँ तो इस स्टोरी को आधार बना के स्कूल प्रबंधकों से यह पुख्ता कर लें की नौकरी के दौरान उनकी जिंदगी कितनी सुरक्षित रहगी और यह भी जान लें की उनके बॉस की नजर में इंसान की जिंदगी की कितनी एहमियत है
और अब कुछ ही महीने बचें हैं जब बहुत सारे अभिभावक अपने बच्चों को किसी स्कूल में पहली बार एडमिशन करवाने वाले होंगे तो कुछ लोग अपने बच्चों को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में शिफ्ट करने की सोच रहे होंगे ऐसे में इस स्टोरी की मदद से सभी अभिभावक अपने बच्चे के लिए सही स्कूल चुन पाने में काफी मदद हासिल कर सकेंगे
अब बात पुलिस की बेशर्मी कि की जानी जरुरी है, दोस्तों इस मामले की FIR जालंधर शहरी पुलिस के तहत आते डिवीजन नंबर: 4 में दर्ज की गई है और इसी ठाणे में मामले की जांच चल रही है यह थाना भी मशहूर ACP सेंट्रल निर्मल सिंह के अधीन है, बता दें की ACP निर्मल सिंह को बतौर ACP 3 ठाणे मिले हुए हैं जो इस प्रकार है थाना डिवीज़न नंबर:4, थाना: नवी बारादरी, थाना: रामा मंडी, इन जनाब के बारे अगर कुछ और जानना हो तो यूट्यूब और फेसबुक पे ढिल्लों ब्रदर्स सुसाइड केस साल 2023 सर्च कर लें आपको सब पता चल जायेगा, साल 2023 में पंजाब के एक बड़े नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया सहित पंजाब के चर्चित नेता मनदीप सिंह मन्ना सहित कई और बड़ी हस्तियों ने ढिल्लों ब्रदर्स सुसाइड मामले में मुख्य आरोपी पूर्व SHO नवदीप सिंह के गुनाहों को छुपाने का घोर आरोप इन ACP निर्मल सिंह पे लगाया था पर पंजाब सरकार की बेशर्मी देखिये की आजतक ACP निर्मल सिंह की जालंधर के अंदर ही सही कही तबादला तक नहीं किया है अब इन जनाब के रहते इस मासूम बच्ची की मौत का इन्साफ कैसे होगा इसपे हम कुछ नहीं कहेंगे और आपको अपनी अपनी आज़ाद राय बनाने के लिए प्रार्थना जरूर करेंगे
अंत में मासूम मृत्क बच्ची के चाचा के बयान से उठे कुछ सवालों पे बात कर लेना जरुरी है बच्ची के चाचा ने बताया है की जो FIR में लिखा गया है की बच्ची को anxitey की समस्या थी यह बात पूरी तरह से गल्त है हमारे पूछने पे बच्ची के चाचा का कहना था की बच्ची को anxitey की कभी कोई दवाई तक दिलवाने की जरुरत नहीं पड़ी थी बच्ची को ऐसी कोई बिमारी कभी थी ही नहीं, इसके बाद बच्ची के चाचा ने बताया की बच्ची की दोनों आरोपित टीचर फ़ोन करके बच्ची से सीधे बात करने का जोर डाला करती थी जैसा की स्कूल पक्ष कहता है की बच्ची पढाई में कमजोर थी तो इसके लिए बच्ची के माता पिता से बात की जानी चाहिए थी न कि सीधे बच्ची से, बतौर बच्ची के चाचा स्कूल कि कई सारी बातें पूरी तरह से संदिग्ध है और अंत में बताया की पुलिस मामले की जांच में ढीला रवैया अपना रही है