dhillon brothers suicide case jalandhar: अदालत में eye-witness testimony से पहले अपने बयानों पर खुद शक खड़े कर गए शिकायतकर्ता मानव उप्पल, क्या punjab police facts management कर रही है ? आँखें खोल देने वाले कुछ interesting facts के बारे पढ़ने के लिए इस स्टोरी को पूरा पढ़िए..

 जालंधर(27/10/2024): दोस्तों आज का ये आर्टिकल कुछ शक, अंदाजों और फैलाये जारहे संभावित झूठ और दुनिया से जा चुके दो बेक़सूर नौजवान भाइयो की मौत के लिए आरोपित बनाये गए एक बदनाम एक पूर्व एस एच  को बचाने के लिए पंजाब पुलिस और संभव है मौजूदा पंजाब सरकार द्वारा खेले जा रहे खेल में आए एक नए मोड़ से लेकर मामले से जुड़े कई अनसुलझे सवालों के बारे बात की जाएगी, देश भर के मीडिया से जुड़े लोगों और ख़ास कर हमारे पढ़ने वाले उन पाठकों को ध्यान से पूरी स्टोरी पढ़नी चाहिए जो लम्बे समय से इस मामले में रूचि रखते आए हैं, ऐसे ऐसे फैक्ट्स पे बात की जाएगी जिसपे अभी तक ढंग से बात कभी हुई ही नहीं है

आपको सबको बता दें की साल 2023 के अगस्त माह की 16 तारिख को कुछ नौजवान अपने एक दोस्त की बहन जिनका अपने ससुराल पक्ष से कुछ झगड़ा चल रहा था के सिलसिले में जालंधर की सिटी पुलिस के तहत आते थाना नंबर-1, गए उस समय उक्त थाने में एस एच के तौर पे नवदीप सिंह नाम का अफसर तैनात था जो काफी बिगड़े सुभाव का आदमी है, घमड़ सर पे चढ़ा रहता है ऐसे क्यों है ये भी इस स्टोरी में आगे पढ़ने को मिलेगा , साल 2023 में ढिल्लों ब्रदर्स सुसाइड केस यूट्यूब पे सर्च करिये काफी कुछ सुनने पढ़ने को मिल जायेगा, पुरानी रिपोर्ट्स के मुताबिक़ उस समय आरोप लगे की मामले के प्रमुख आरोपी नवदीप सिंह ने लड़की पक्ष में आए एक नौजवान मानवजीत सिंह ढिल्लों के खिलाफ साजिशन अपनी एक महिला कर्मचारी से झूठी शिकायत लेकर मानवजीत ढिल्लों के खिलाफ 151/107 का एक झूठ मामला दर्ज कर उसे हवालात में बंद कर दिया और बाद में पहले उसके साथ खूब मार पीट की गई और जब उसका छोटा भाई जिसका नाम जश्न ढिल्लों था अपने बड़े भाई को थाने पानी देने आया तो थाने में मौजूद पुलिस कर्मियों ने उसके साथ भी दुर्व्योहार किया, इसके बाद 17/08/2023 को जश्न ने अपने भाई के साथ हुए दुर्व्योहार से दुखी होकर नदी में अपने भाई के सामने ही कूद के जान दे दी, अब मामले में शिकायतकर्ता बने एक नौजवान जिनका नाम मानवदीप उप्पल है ने कहा है की मानव ढिल्लों ने अपने भाई को बचाने के लिए नदी में छलांग लगाईं थी मानव ढिल्लों ने खुद आत्महत्या नहीं किया है छोटे भाई ने आत्महत्या की थी, कुछ दिनों बाद छोटे भाई जश्न की मृतक देह मिल गई थी जिसका बाद में दोनों भाइयों के पिता सरदार जतिंदर पाल सिंह ढिल्लों ने पहचान करने के बाद संस्कार कर दिया था, इसके बाद तीनो आरोपित पुलिस कर्मियों की अलग अलग अदालतों से बाहर ही बाहर जमानत हो गई तीनो मेसे आजतक किसी की भी 1 मिनट के लिए भी गिरफ्तारी नहीं हुई, याद रखिये बड़े भाई मानव ढिल्लों के बारे आजतक कोई अता पता नहीं है, इसे स्टोरी का लीड पैराग्राफ लेकर चलिए, अब आगे की स्टोरी को बहुत ध्यान से पढ़ना होगा 

इस मामले में पहले तो पंजाब पुलिस ने कई दिनों तक मामला तक दर्ज नहीं किया पीड़ित परिवार को सड़कों पे उतरना पड़ा, इसी दौरान एक कैंडल मार्च निकाला गया जिसे हम भी पत्रकार के तौर पे कवर करने  गए जब शिकायतकर्ता मानव उप्पल हमें मिले तो हमने उनसे गहराई से काफी सवाल जवाब किए उन्होंने हमें जो भी बताया हमें बिलकुल सच लगा क्योकि हम खुद पिछले लगभग 5 साल से ज्यादा समय से जालंधर पुलिस दवारा एक फर्जी डीग्री लेकर वकील बने एक आदमी के इशारे पे कुछ पूरी तरह से झूठी शिकायतों के आधार पे इतना परेशान किया हुआ था की अगर हमारी जगह कोई आम आदमी होता तो कब का शहर छोड़ कर भाग चूका होता, अभी मान लेते हैं हमारे सामने पूरा सच आया हो पर खुद निशाना बन चुके होने की वजह से हमें पुलिस की साजिशों की समझ लग चुकी थी की कैसे पुलिस आपराधिक सोच के लोगों के साथ मिलकर निर्दोष लोगो को परेशान करती है पर फिर भी हमने ऐसे हाल में जब मानव उप्पल पर कोई शक नहीं था तब भी मानव से बहुत बार अलग अलग ढंग से बहुत से सवाल किए पर हमें मानव उप्पल कभी झूठा लगा ही नहीं, जब भी बात हुई, या मुलाकात हुई तो हमने मानव से सहानुभूति दिखाते हुए उसे हमेशा अदालत पे भरोसा रखते हुए इन्साफ के लिए संघष करते रहने की बिनती की, मैंने अपने साथ हुए प्रताड़ना के बारे भी मानव से जिक्र किया तब भी मानव ने हमें एक आम इंसान जैसे नेचुरल जवाब ही दिए, अपनी नए प्रेस कांफ्रेंस में मानव उप्पल ने बताया है की उसे महीने में कई बार पुलिस दवारा बुलाया जा रहा है पुलिस के अलग अलग अधिकारी बार बार उससे एक जैसे सवाल घुमा फिरा के पूछते हैं इससे उसे बेहद प्रताड़ना महसूस हो रही है, इसके बाद हमें पहली बार लगा की इस आदमी को इतना परेशान कर दिया गया है की यह आदमी केस से पलट जायेगा, हुआ भी ऐसे ही लगता है, अब मानव उप्पल कुछ सरकारी रिपोर्ट्स को हाथ में लेकर मीडिया के सामने आए हैं और उसने जो कुछ मीडिया को बताया उसपे मीडिया के किसी ग्रुप में गहराई से जानने और लिखने की जरुरत नहीं समझी गई, आइए  पॉइंट दर पॉइंट कुछ सवाल उठाते हैं

मानव ने कहा है की कपूरथला पुलिस ने मृत्क छोटे भाई जश्न के मोबाइल और आरोपित नवदीप सिंह के मोबाइल की टावर लोकेशन निकलवाई है जो अलग अलग जगह पे होने का सबूत दे रही है मतलब पुलिस यह कहना चाहती है की जश्न और नवदीप की मुलाकात ही नहीं हुई तो नवदीप ने जश्न के साथ दुर्व्योहार कैसे किया होगा, अब सवाल उठता है की पुराने बयानों में परिवार ने कहा है की बड़े भाई मानव के साथ नवदीप सिंह ने दुर्व्यहार किया था की छोटे भाई जश्न के साथ अपने बड़े भाई के साथ हुए दुर्व्योहार से तंग आकर छोटे भाई ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया था, एक बात और की ऐसी कोई टेक्नोलॉजी है क्या जो बता सके कब और किस समय मोबाइल किसके पास था मोबाइल किसी और को देके भी तो बिना मोबाइल के कहीं जाया जा सकता है ऐसे में यह मोबाइल टावर्स की लोकेशंस को कोई पक्का सबूत कैसे माना जा सकता है, एक सवाल और की पुलिस जश्न और नवदीप के मोबाइल की टावर लोकेशंस को क्यों मिलाते फिर रही है

इसके बाद मानव उप्पल ने मीडिया को बताया है की जिस लड़की के पक्ष में मानव ढिल्लों थाने गए थे उसने और लड़के परिवार और तो और अरेस्ट के समय जो लोग मानव ढिल्लों के साथ पुलिस स्टेशन में बंद थे सबने नवदीप सिंह के पक्ष में गवाही दी है, अब आप लोग सोचिये की जिस लड़की के परिवार का एक झगड़ा पहले से जालंधर पुलिस के हाथ में है वो और लड़का परिवार जिसकी नवदीप सिंह पहले ही हिमायत कर रहा था दोनों क्या नवदीप सिंह या पुलिस के खिलाफ कोई गवाही दे सकते है?? बात की जाये जो लोग मानव ढिल्लों के साथ हवालात में बंद थे वो पुलिस अधिकारी के खिलाफ गवाही देकर अपना पहले से चल रहा मामला बिगड़ना चाहेंगे क्या??

मानव उप्पल की स्टेटमेंट के आधार पे पुलिस ये क्यों कहती फिर रही है की मानव ढिल्लों को जश्न ने फ़ोन किया था की मानव ने जश्न को फ़ोन किया था ऐसे लगता है पुलिस शिकायतकर्ता पक्ष के पुराने ब्यान को जिसमे परिवार ने कहा था की मानव ने आत्महत्या से पहले जश्न को फ़ोन किया था को गलत साबित करने की साजिश कर रही लगती है हो सकता है ये बात पुलिस की गलती भी हो इससे ज्यादा कुछ और हो पर शक की वजह जरूर बन रही है 

मानव उप्पल ने बताया है की पुलिस ने मानव ढिल्लों की मेडिकल हिस्ट्री निकलवाई है जिसमे सामने आया है की मानव ढिल्लों का पहले से डिप्रेशन का इलाज चल रहा था पुलिस ने मानव का मेडिकल रिकॉर्ड क्यों निकलवाया यह बात भी कुछ समझ नहीं आई हो सकता है रूटीन मेडिकल रिपोर्ट निकलवाई गई हो जिसमे डिप्रेशन वाली बात अपने आप सामने गई हो, अब सवाल उठता है की क्या किसी मनोचिकित्सक ने सामने आके बताया है की जिन लोगो का डिप्रेशन का इलाज चल रहा होता है वो सब आत्महत्या ही कर लेते है, या नवदीप सिंह किसी ऐसी घटना का सबूत दे सकता है जो मानव और जश्न के साथ थाने से बेल आउट होने और आत्महत्या करने के बीच घटित हुई हो जो एक इंसान को आत्महत्या के लिए उकसा सके, पर बात तो जश्न के आत्महत्या की हो रही है मानव तो छोटे भाई को बचाने के लिए नदी में कूदा था ये बात पहले दिन से मानव उप्पल कह रहे हैं, मानव उप्पल की यह बात सिर्फ एक अंदाजा भर है और कुछ नहीं क्योकि किसी दुसरे को क्या पता की सामने वाले के मन में क्या चल रहा है मानव ढिल्लों ने छलांग क्यों लगाईं इसका कोई ठोस सबूत किसी के पास नहीं है , डिप्रेशन के बारे हमने कुछ जानकारी जुटाई, एक किताब है self help work book for depression by William j. knaus, ED.D foreword by albert ellis PH.D, जिसमे बताया गया है डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली मेडिसिन को SSRI medicine कहा जाता है जिसे बहुत सेफ माना जाता है अब मानव को कौनसी दवाएँ डॉक्टर टी एल चोपड़ा दे रहे थे इसके बारे हमें कोई जानकारी नहीं इस लिए आगे कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा

अब थोड़ा मीडिया के रोल पे भी बात कर ली जाये आजकल इस मामले में कुछ ऐसे लोगो को इंटरव्यू दिए जा रहे हैं जिनके अपने इतिहास बहुत दागदार है हमारी रिसर्च जारी है जल्द ही इन लोगो से जुड़े किस्से भी आपके सामने रखे जायेंगे बस सबूत पूरे हो जाने का इंतजार है

जब मानवदीप उप्पल प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे तो वहाँ मौजूद कुछ तथाकथित पत्रकारों ने एक सवाल पे कई बार जोर दिया की ये डाक्यूमेंट्स आपको कैसे मिले इनमेसे कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सालों से क्राइम रिपोर्टर हैं पर इन लोगो को बता देना चाहते है की जब किसी भी अदालत में कोई केस होता है तो प्लैनटिफ को केस से जुड़े जितने भी डाक्यूमेंट्स अदालत के सामने रखने हों सबकी पूरी बुक बना के केस में जितने भी डिफेंडेंट हो सबको भेजने के लिए अदालत में बुक्स जमा करवानी होती है जब अदालत डिफ़ेन्डेंट्स को सम्मन भेजती है तो केस की पूरी बुक डिफ़ेन्डेंट्स को भेजती है ताकि डिफेंडेंट  डाक्यूमेंट्स का जवाब अदालत में दे सके, ऐसे ही जब नवदीप सिंह ने जमानत की अर्जी कोर्ट में डाली तो मानवदीप उसकी अपोजिट पार्टी है इस लिए अदालत ने मानवदीप को पूरी केस बुक भेजी होगी इस केस बुक्स से मिले डाक्यूमेंट्स ही मानवदीप उप्पल दिखा रहे थे, इतनी साधारण सी बात का ज्ञान होना इन क्राइम रिपोर्टर्स के अनुभव और क़ाबलियत पे गंभीर सवाल खड़े करता है और इनके मीडिया हाउसेस पे भी सवाल खड़े होते हैं की इतने सालों से इन लोगो को क्या सिखाया गया है और इन लोगों ने कैसे अपना काम किया है

अंत में इतना कहना सही होगा की सारे एपिसोड से लगता है की कपूरथला और जालंधर की पुलिस ने इस मामले में पीड़ित परिवार को इन्साफ दिलवाने की दिशा में काम ही नहीं किया है, ऐसा लगता है की पुलिस ने जांच की शुरुआत ही अपने लाडले नवदीप और उसके साथियों को बचाने के नियत से की है और अब तक जांच ऐसे ही की जा रही की वो सब सबूत इक्कठे किये जाएं जो नवदीप को मदद करें नाकी पीड़ित परिवार को, इस मामले में नवदीप सिंह की मदद करने के आरोप आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं पे पहले लगते रहे, बहुत संभव है की इस सिलसिले में नवदीप की मदद पुलिस अधिकारीयों के साथ साथ मौजूदा पंजाब सरकार की तरफ से भी हो रही हो

मीडिया में चल रही खुसर फुसर भी ठीक नहीं है मीडिया से जुड़े लोगो  को पता नहीं इतनी बात क्यों नहीं समझ आरही की पीड़ित परिवार के पक्ष में आए सरदार बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और मनदीप सिंह मन्ना जैसे नेताओं ने वही सवाल उठाये जिनके सबूत उस समय सामने थे, इन नेताओं ने पीड़ित परिवार की आवाज को उठा के अपना फर्ज निभाया है उन्हें आगे भी ऐसे ही करते रहना चाहिए और मीडिया को चाहिए वो ऐसे सभी मामलों में इन विपक्षी नेताओं की आवाज़ बना रहे  

Note: आर्टिकल के नीचे ढिल्लों ब्रदर्स की जो तस्वीर दी गई है उसे इंटरनेट से लिया गया है इस तस्वीर का कोई कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया गया है

 



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