जालंधर(03/03/2025): दोस्तों इस स्टोरी में एक खुलासा करेंगे की कैसे हमारे शहर जालंधर के पूर्व पुलिस कमिश्नर स्वपन शर्मा के खिलाफ सालों से कई लोग मानयोग पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में COCP(कंटेम्प्ट) की अर्जी लेकर जाते रहे हैं और इन केसों में आगे क्या क्या हुआ है इस बात को डिटेल में आपके सामने रखेंगे, इस सबके इलावा बताएँगे की होशियारपुर शहर के एक व्यापारी श्री पुनीत सूद से लगभग 1 करोड़ रुपये ऐंठने का जो गंभीर आरोप स्वपन शर्मा और उनकी टीम पर लगा है पुनीत सूद का इतिहास कैसा रहा है, सबसे पहले बताएँगे की एक पत्रकार मनप्रीत रंधावा द्वारा स्वपन शर्मा को लेकर की गई रिपोर्टिंग ने कैसे अकाली दल बादल के लिए म्युनिसिपल कारपोरेशन इलेक्शन 2024 में शर्मनाक हार का रास्ता खोल दिया, लीड एहि तक अब चलते हैं रिपोर्ट की ब्रीफिंग की तरफ
तारिख थी 20/12/2024 इसके अगले दिन मतलब 21/12/2024 को पंजाब में म्युनिसिपल कारपोरेशन के इलेक्शन होने वाले थे पर 20/12/2024 को इंटरनेट पे एक पत्रकार मनप्रीत रंधावा की एक रिपोर्ट वायरल हुई उस समय इस रिपोर्ट को यूट्यूब पर लगभग 80,000 व्यूज मिल चुके थे इस रिपोर्ट में बताया गया की होशियारपुर के रहने वाले एक व्यापारी जिनका नाम पुनीत सूद है ने जालंधर के पुलिस कमिश्नर, थाना नवी बारादरी के एस एच वो समेत कुछ अन्य पुलिस अधिकारीयों पर पुनीत सूद से लगभग एक करोड़ रुपये ऐंठने का आरोप लगा था मामले में पुनीत सूद ने मानयोग पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की हुई है बतौर मनप्रीत रंधावा की उक्त रिपोर्ट इस मामले को वापिस लेने के लिए पुनीत सूद पर कई तरफ से दबाव बनाया जा रहा है इस सिलसिले में शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और मजीठिया भी पुनीत सूद के वकील को मामला वापिस लेने के लिए कह रहे हैं, सुखबीर बादल और मजीठिया ने इस मामले में कोई दखल दिया है या नहीं इस बात का कोई गवाह या सबूत सामने नहीं आया है पर शिरोमणि अकाली दल से एक गलती हो गई की न पार्टी ने, न सुखबीर बादल ने और न ही मजीठिया ने इस रिपोर्ट का कोई खंडन किया, अगले दिन म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव हुए और शाम को रिजल्ट आया जिसमे जालंधर में शिरोमणि अकाली दल बादल को एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई पर चौकाने वाली एक और बात सामने आई की फगवाड़ा जैसे छोटे से शहर में अकाली दल बादल को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई, यह बात मुझे खटकी और मैंने जालंधर और फगवाड़ा जाकर लोगों से मिलकर उनके विचार जानने की कोशिस शुरू की पर दोनों शहरों में लोगों ने बात तो की पर किसी ने भी कैमरे के सामने आने की हिम्मत नहीं दिखाई,
जालंधर के लोगो का कहना था की अकाली दल ने आरोपित पुलिस कर्मियों की मदद की है जो जनता के पक्ष में नहीं है इस लिए जनता उन्हें वोट क्यों दे, वहीँ फगवाड़ा के लोगों का कहना था की साल 2023 में ढिल्लों ब्रदर्स सुसाइड मामले में अकाली दल पीड़ित ढिल्लों परिवार के पक्ष में खड़ा हुआ था और आरोपित पुलिस कर्मियों पर मामला दर्ज करवाने में एहम भूमिका निभाई थी इस लिए अकाली दल फगवाड़ा की जनता के दिलों पर राज करता है, दोस्तों लोगों से मिलने के बाद हमें लगा की कोई एक फैक्टर तो किसी रिजल्ट को पूरी तरह से प्रभावित तो नहीं कर सकता मतलब चुनाव में जीत और हार के लिए कई सारे फैक्टर्स मिल कर रिजल्ट्स लाते है पर एक शहर में आरोपित पुलिस अधिकारीयों का पक्ष लेना और दुसरे शहर से जुड़े आरोपित एस एच वो के खिलाफ खड़े होना अकाली दल की राजनीति पे कैसे असर डाल रहा है और आने वाले समय में कैसे और असर डाल सकता है इसका एक अंदाज़ा तो लग ही जाता है, इससे अन्य राजनीतिक पार्टियों को शिक्षा लेनी चाहिए की किसी आरोपित पुलिस कर्मी की हिमायत करना कितनी बड़ी मुसीबत बन सकता है और दागी पुलिस कर्मियों के खिलाफ खड़े होने पर जनता के दिलों पर राज़ करना कितना आसान हो सकता है और अकाली दल को चाहिए की वो मनप्रीत रंधावा की रिपोर्ट में लगे आरोपों पे सफाई जरूर दें कहीं ऐसा न हो की अकाली दल ने किसी आरोपित पुलिस अधिकारी की कोई हिमायत की ही न हो पर राजनीतिक नुक्सान फ्री में झेलना पड रहा हो
अब बात करेंगे पुनीत सूद के खिलाफ दर्ज की गई उस ऍफ़ आई आर(विवादित ऍफ़ आई आर) और पुनीत सूद को जमानत मिलने तक सामने आए कई दहला देने वाले फैक्ट्स के बारे, पुनीत सूद ने पहली जमानत अर्जी जो जालंधर की अदालत में डाली थी उसे अदालत ने 31 /07 /2024 को सभी पक्षों को सुनने के बाद ख़ारिज कर दिया था इस जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान पुनीत सूद के वकीलों ने अदालत को डिटेल में बताया था की पुनीत सूद से कोई नशीला पर्दार्थ नहीं मिला है तो उनके खिलाफ NDPS एक्ट की धाराएं कैसे लगा दी गई है, पुनीत सूद से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ है पर उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की भी धाराएं लगाईं गई है, पुनीत सूद से पुलिस को कोई भी शराब जैसी चीज़ नहीं मिली है पर उनके खिलाफ एक्साइज एक्ट भी लगाया गया है, पुनीत सूद से सिर्फ नकदी(भारतीय रुपए) और कुछ अमेरिकन डॉलर्स मिले हैं, इस मामले में अगर कोई उलंघन बनता है तो सिर्फ FEMA का उलंघन पाया जाता है इस लिए पुलिस को चाहिए था की वो इनकम टैक्स, एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट को सूचना दे, और अगर पुनीत सूद के पास GST नंबर नहीं है तो यह भी GST के देखना का मामला है न की जालंधर पुलिस का, अब मान योग हाई कोर्ट के ध्यान में लाया जाना चाहिए की अगर एक्साइज एक्ट, आर्म्स एक्ट, NDPS एक्ट जोड़ा जाना बनता ही नहीं था और सिर्फ बड़ी मात्रा में कैश मिलने का मामला था और पुलिस के दखल देने का कोई मामला नहीं बनता था तो पहले 31 /07 /2024 को जमानत रद्द क्यों हुई और फिर 22 /08/2024 को जब पुलिस और सरकारी वकील ने अदालत के सामने मान लिया की पुनीत सूद से कोई ऐसी चीज़ पुलिस को नहीं मिली है जिससे एक्साइज एक्ट, NDPS एक्ट, और आर्म्स एक्ट लगाया जाए तो ऐसे में पुनीत सूद को जमानत मिल गई पर पहली वाली अर्जी पर जमानत क्यों नहीं मिली?
अब एक और जरुरी बात की जानी चाहिए हमने भी जब पुनीत सूद के बारे जांच करनी शुरू की तो कई सारे वकीलों और अपने सूत्रों से भी पता किया तो पता चला की होशियारपुर के एक पुनीत सूद पर पहले से कई सारे मामले दर्ज हैं जिनमे NDPS के भी कुछ मामले दर्ज होते रहे हैं
अब हमे कुछ और गहरी रिसर्च करनी थी जिसमे हम आगे बढे तो पता चला की पुनीत सूद नाम के एक आदमी पर जो होशियारपुर का रहने वाला है के खिलाफ साल 2020 में मोहाली में NDPS एक्ट के तहत एक ऍफ़ आई चल रही है, इस आरोपित के खिलाफ होशियारपुर पुलिस ने साल 2014 में दो अलग अलग ऍफ़ ऍफ़ आई आर NDPS एक्ट के तहत दर्ज की थी, फिर साल 2017 में भी एक और ऍफ़ आई आर NDPS के तहत दर्ज की गई, आगे बढे तो पता चला की इस आरोपित के खिलाफ साल 2019 में भी होशियारपुर पुलिस ने 2 अलग अलग ऍफ़ आई आर फिर से NDPS एक्ट के तहत दर्ज की हुई है, इन मामलों से जुडी किसी भी ऍफ़ आई आर की कॉपी हमें नहीं मिल सकी इस लिए ऐसी किसी भी ऍफ़ आई आर के कंटेंट पे अभी कुछ कह पाना बड़ा मुश्किल था, पुलिस के बड़े अधिकारी चाहें तो आसानी से होशियारपुर पुलिस से सब आंकड़े मिल जायेंगे, इस पुनीत सूद उर्फ़ टोपी के खिलाफ आखरी ऍफ़ आई आर साल 2022 में होशियारपुर पुलिस ने ही दर्ज की थी सबसे बड़ी बात की यह ऍफ़ आई आर भी NDPS एक्ट के तहत ही दर्ज है कुछ समय बाद हमें कुछ सूत्रों से पता लगा की ये पुनीत सूद कोई अन्य व्यक्ति है न की जालंधर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया पुनीत सूद है, इस पुनीत सूद का नाम पुनीत सूद उर्फ़ टोपी है और जालंधर पुलिस दवारा अरेस्ट किये गए पुनीत सूद का नाम पुनीत सूद उर्फ़ गाँधी है, दोनों के पिता का नाम अलग अलग है जिससे साफ़ हो जाता है की दोनों अलग अलग लोग हैं, जालंधर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए पुनीत सूद की उम्र साल 2024 तक लगभग 49 साल बताई जाती है और पहले से आरोपित चल रहे पुनीत सूद उर्फ़ टोपी की उम्र साल 2024 तक 38 से 39 साल के आस पास बनती है
अब इस बात का भी संदेह पैदा होता है की कहीं जालंधर पुलिस ने पुनीत सूद उर्फ़ टोपी की गलत फेहमी में पुनीत सूद उर्फ़ गाँधी को गिरफ्तार तो नहीं कर लिया था, ये बात कितनी ठीक है या नहीं है इसकी भी जांच होनी चाहिए अगर ये शक ठीक भी निकलता है तो भी जालंधर पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं की इन लोगो की सूचना कितनी निचले स्तर तक गलत रहती है
अब बात करेंगे की जालंधर के पूर्व पुलिस कमिश्नर स्वपन शर्मा के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में लम्बे समय से दाखिल होने वाले COCP के मामलों की, इस तरफ जब हम बढे तो हमने लगभग 1 महीने का समय लगाकर जो आंकड़े इकठा किये वो भी परेशानी में ही डालते हैं, कैसे यह भी जानिए, स्वपन शर्मा के खिलाफ हाई कोर्ट में जो भी COCP की अर्जिया डाली गई उनमेसे 11 मामलों में अदालत ने infructuous कह कर dissposs किया, और 5 मामलों को अदालत ने सीधे डिसमिस कर दिया, 1 मामला ऐसा मिला है जिसमे स्वपन शर्मा की पुलिस के अधिकारी ने अदालत से बिनती की कि पुलिस अदालत के ओरिजिनल आर्डर को comply कर रही है या जल्द करेगी, इसके बाद जो आंकड़े मिले वो बेहद परेशान करने वाले हैं, रिसर्च के दौरान हमें 11 मामले ऐसे भी मिले जिसमे लोगो ने हाई कोर्ट में स्वपन शर्मा के खिलाफ COCP के तहत अर्जी डाली तो पर अगली एक या दूसरी तारिख पर खुद ही अर्जी अदालत से वापिस मांग ली, ये आंकड़े पुनीत सूद उर्फ़ गाँधी की इस बात को बल जरूर देते है की कोई उन्हें स्वपन शर्मा के खिलाफ हाई कोर्ट में डाले केस को वापिस लेने का दबाव बना रहा है, मतलब इस तरफ से भी गहराई से जांच होनी चाहिए, अंत में हमें 3 ऐसे मामले भी मिले जिनमे हाई कोर्ट में अर्जी तो डाली गई पर बाद की तारीखों पर प्रार्थी की तरफ से कोई अदालत में पेश ही नहीं हुआ, ये बात भी चिंता पैदा करती है की प्रार्थी अदालत में पेश होने से क्यों बचते रहे हैं, इस बात की भी जांच होनी जरुरी है वरना मानयोग अदालत की नजर में कई सारे फैक्ट्स कभी आ ही नहीं पाएंगे
इस मामले में नए अपडेट्स हैं की पुनीत सूद द्वारा मानयोग पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में डाली गई रिट पे फैसला आ चूका है जिसपे हमने पहले ही स्टोरी आपके सामने रख दी है जिसे आज की स्टोरी के दी गई फीचर इमेज को ही पहले वाली स्टोरी में इस्तेमाल करके पब्लिश किया था, वेबसाइट को स्क्रॉल करके स्टोरी पढ़ ली जिए, स्वपन शर्मा को जालंधर से बदल कर फ़िरोज़पुर बॉर्डर रेंज का डी आई जी बना के भेज दिया गया है, पुनीत सूद के खिलाफ दर्ज फर्जी ऍफ़ आई आर रद्द करने की अर्जी पुलिस ने जालंधर की अदालत में डाल दी है, पुनीत सूद इन्साफ का इंतज़ार कर रहे है
अंत में एक बार फिर से आप लोगो को बता दें कि पुनीत सूद ने स्वपन शर्मा सहित कुछ अन्य पुलिस अधिकारीयों पर उनसे जब्त कि गई राशि मेसे लगभग 1 करोड़ रुपए गायब करने के गंभीर आरोप लगाए है ये आरोप कितने सही है हम अभी कुछ नहीं कह सकते, बस इतना कह सकते है कि आने वाले समय में इस मामले में अगर कोई निष्कर्ष निकल पाया तो आपके सामने जरूर पेश करेंगे