जालंधर(19/03/2025): आज देश के हर छात्र छात्रा को एक समस्या से कभी न कभी दो चार जरूर होना पड़ा होगा, यह समस्या है इंग्लिश बोलने की, इंग्लिश दुनिया भर में कम्युनिकेशन की भाषा मानी जाती है मतलब जिसे इंग्लिश ढंग से बोलनी नहीं आएगी वो किसी भी मंच पर दुनिया के किसी भी कोने जाके अपनी बात रख पाने में कामयाब नहीं हो सकेगा, चाहे कितने भी स्किल्स हों कितनी भी नॉलेज क्यों न हो अगर इंलिश ठीक से नहीं बोल सकते हो तो आपको मन चाहा मुकाम हासिल नहीं होगा
जहाँ इंग्लिश अच्छे से बोलने के लिए ग्रामर का ढंग से ज्ञान होना तो जरुरी है ही पर इसे कैसे लम्बे समय तक याद रखा जा सके और सब्जेट बोर न कर सके यह भी एक बड़ी समस्या है जिसे इंलिश पढ़ाने वाले टीचर्स रोज़ झेलते है
शिक्षा के छेत्र से जुड़े एक अध्यापिका ने इस समस्या को हल करते हुए इस सब्जेक्ट पे एक किताब भी लिखी है, आज के इस लेख में हम लोग आपको पहले लेखक के बारे और इसके बाद किताब में दी गई कुल पांच टेक्निक के बारे बताएँगे जिसका इस्तेमाल करके विद्यार्थी बिना बोर हुए लम्बे समय तक याद रखने के साथ इंग्लिश बोलने की एक बेहद शानदार टेक्निक की प्रैक्टिस कर इंग्लिश बोलने में कामयाबी हासिल कर लेंगे
यह किताब लिखी है जालंधर के लाला जगत नारायन डी ए वी मॉडल स्कूल जालंधर की प्रिंसिपल मैडम श्रीमती अनीता नंदा ने, आपको बता दे की जब से यह स्कूल शुरू हुआ है तब से श्रीमती अनीता नंदा ही इस स्कूल की आजतक प्रिंसिपल बनी हुई है, श्रीमती अनीता नंदा जी पिछले लगभग 36 सालों से शिक्षा के छेत्र में अपनी सेवाएं दे रही है, श्रीमती अनीता नंदा को किताब में दी गई टेक्निक्स के लिए साल 2015 में लखनऊ में हुए इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान श्रीमती किरण बेदी के हाथों अवार्ड भी मिल चूका है
Technique1. पोएम(कविता) बेस्ड टेक्निक: श्रीमती अनीता नंदा कहती हैं की पोएम(कविताएं) लर्निंग्स में काफी मदद करती हैं मतलब अगर कोई सब्जेक्ट कविताओं के रूप में सीखा जाए तो सीखी हुई चीज़ लम्बे समय तक छात्र छात्रा के दिमाग में स्टोर रहेगा, इस टेक्निक को तभी अच्छे से इस्तेमाल किया जा सकता है अगर विद्यार्थी ने टेंस पहले से याद किया होगा, यह टेक्निक टेंस का विकल्प नहीं है इस टेक्निक में पोएम(कविता) के जरिए यह याद रखने का अभ्यास करवाया जाता है की कौनसा टेंस कहाँ और कब इस्तेमाल होगा इस कविता के जरिए अगर विद्यार्थी अभ्यास करेगा तो उसे बहुत लम्बे समय तक यह बात याद रहेगी की कौनसा टेंस कब और कहाँ इस्तेमाल किया जाना है और जब अभ्यास किया जाएगा तो विद्यार्थी बोर बिलकुल नहीं होगा और इस अभ्यास को एन्जॉय करेगा
Technique2. पाई चार्ट बेस्ड लर्निंग: श्रीमती अनीता नंदा कहती हैं की जब कोई बच्चा एक वर्ड पढता है तो आगे उस वर्ड के सहारे एक सेंटेंस बना लेता है पर कुछ समय बाद बच्चा वो सेंटेंस भूल जाता है पर जब बच्चा एक पाई चार्ट बना के एक पैटर्न ड्रॉ कर लेता है तो पहले तो बच्चे को वर्ड की सही प्लेसमेंट पता चलती है और जब उस वर्ड को एक प्रॉपर टेंस में इस्तेमाल करता है तो उसकी इंलिश काफी इम्प्रूव होती है, पाई चार्ट में वर्ड्स का पैटर्न बनाने से उन वर्ड्स के मतलब उन बच्चों को कभी नहीं भूलेंगे, इससे बच्चों का इंलिश बोलना और लिखना बहुत अच्छा हो जाएगा, देखिए पहले तो बच्चे को एक पर्टिकुलर वर्ड का मतलब ही नहीं पता होता उसकी प्लेसमेंट के बारे नहीं पता होता जब यह दोनों चीज़े न हों तो टेंस का ज्ञान होने के बाद भी बच्चा सेंटेंस नहीं बना पाता अगर बनाता भी है तो गलत बनाता है, इस लिए बच्चे को पहले वर्ड का मतलब जानना होगा फिर उस वर्ड की सही प्लेसमेंट जाननी होगी की वो वर्ड नाउन है, वर्ब है, एडजेक्टिव है, या फिर एडवर्ब है इन सब बातों की सही जानकारी होनी जरुरी होती है
श्रीमती अनीता नंदा कहती है की इंसान के दिमाग को सिम्बल्स चाहिए, जब बच्चा पाई चार्ट बनाने के समय लाइन्स लगाता है, अल्ग अल्ग रंग के पेनस का इस्तेमाल करता है, डिजाइनिंग करता है तो उसे लम्बे समय तक याद रहता है की वो पैटर्न मैंने कभी बनाया था, पाई चार्ट के किस खाने में मैंने कौनसा वर्ड लिखा था, किस वर्ड की प्लेसमेंट क्या थी और तब मैंने कौनसा सेंटेंस बनाया था सब बच्चे को बहुत लम्बे समय तक याद रहेगा
Technique3. ड्राइंग टेक्निक: इस टेक्निक के जरिए बच्चे की क्रिएटिविटी को बढ़ाया जाता है, बच्चे को एक स्टोरी पढ़ने के लिए दी जाती है फिर कहा जाता है अब इस स्टोरी के बेस पर एक स्टिक ड्राइंग तैयार करो स्टिक ड्राइंग हर बच्चा बड़ी आसानी से बना लेता है, ड्राइंग बना लेने के बाद बच्चे को कहा जाता है की वो स्टिक ड्राइंग को देखे, और जो पार्ट स्टोरी में पढ़ा है उसे डायलॉग के फॉर्म में बदल दे उधारण के लिए जैसे तुम कॉमिक पढ़ते थे तो इसे एक कॉमिक में कन्वर्ट करदो ऐसे में बच्चों ने ये काम बड़ी आसानी से किया, इससे बच्चों की लैंग्वेज इम्प्रूव हुई, बच्चों का किताबे पढ़ने में मन लगने लगा, बच्चों को स्टोरी लिखना अच्छा लगने लगा
Technique4. डिजिटल
स्टोरी मेकिंग: ड्राइंग बनाने के बाद बच्चों को काईन मास्टर और विबा जैसे एप्प्स दिए
गए और अब बच्चों से कहा गया की आपने जो स्टोरी ड्राइंग की शेप में बनाई है उसे लाइव
कॉमिक के रूप में बना के चला दो, बच्चों ने स्टोरी को कार्टून का रूप देके अपना वॉइस
ओवर दे कर बहुत सुन्दर कार्टून स्टोरीज लाइव चलाई यह वर्क टीवी पे चलने वाले कार्टून
शोज जैसे ही थे ये कदम बाकी बच्चों को भी बहुत अच्छा लगा इससे बच्चों की क्रिएटिविटी
बढ़ने लगी, बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा, बच्चों की प्रोनोन्स करने की छमता बढ़ी, बच्चों
में लिखने का मन करने लगा, पढ़ने में मन लगने लगा, बच्चों में कार्टून स्टोरीज की वजह
से रीडिंग स्किल्स भी बढे
Technique.5: फिजिकल एक्टिविटी: इस टेक्निक में जमीन पे डाएस बनाया और बच्चे को कहा गया की वार्म अप अभ्यास करते हुए वर्ड पर जम्प करके पहुँचो तो जब बच्चे ने ऐसा किया तो उसने उस वर्ड का मीनिंग बोला, प्लेसमेंट बताई, सेंटेंस बनाया तो इससे बच्चों को खूब आनंद आया श्रीमति अनीता नंदा कहती हैं की फिजिकल अभ्यास से इंसान के ब्रेन सेल्स एक्टिव होते है और बॉडी भी एक्टिव रहती है, जिससे बच्चों की रेटेन शक्ति भी बढ़ती है, अंत में श्रीमती अनीता नंदा कहती हैं की फिजिकल अभ्यास घर में भी करवाए जाने चाहिए इससे जहाँ बच्चों की लर्निंग पावर बढ़ेगी वहीँ सबसे जरुरी बच्चे फिजिकली भी फिट रहेंगे वरना वीडियो गेम्स और लगतार टीवी देखने से बच्चों का मोटा होना लाजमी है, बच्चों को स्मार्ट बनाने और फिजिकली फिट रखने के लिए यह टेक्निक बेहद कारगर साबित होगी